अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: 2G को घोटाले के कारण देश में जाना गया, तो 3G कब आया कब गया पता भी नहीं चला. 4G ने हम सब को मोबाइल में कैद कर दिया. वहीं अब 5G
की बारी है. सरकार ने 2020 तक देश में इसे शुरू करने का टारगेट रखा था,
लेकिन अब तक स्पेक्ट्रम
की नीलामी भी नहीं हो सकी है.
दूसरी तरफ मुकेश
अंबानी बार-बार कह रहे हैं कि उनकी कंपनी जियो अगले साल तक देश में 5G सर्विस शुरू कर देगी. लेकिन क्या वाकई ऐसा हो
पाएगा? किन वजहों से अभी
तक स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं हो सकी है? जियो के अलावा दूसरी कंपनियों की क्या है तैयारी? 5G
आने पर क्या-क्या बदलेगा?
आइए जानते हैं इन सारे
सवालों के जवाब...
नीलामी में देरी
क्यों
अगस्त 2018 में टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए सिफारिश की. TRAI ने 5G सर्विस के लिए 3400 से 3600 Mhz बैंड के
स्पेक्ट्रम बेचने की सिफारिश की है.
TRAI ने स्पेक्ट्रम की
एक यूनिट की कीमत 492 करोड़ रुपए तय
की है. सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया
इस कीमत
को बहुत ज्यादा बताया है. COAI के मुताबिक,
दूसरे देशों के मुकाबले
भारत में स्पेक्ट्रम की कीमत 40-50% ज्यादा है.
जियो को छोड़
बाकी कंपनियों ने जताई आपत्ति
जियो को छोड़
बाकी टेलीकॉम कंपनियों ने भी इतनी ज्यादा कीमत पर आपत्ति जताई. यहां तक कि टेलीकॉम डिपार्टमेंट की एक कमेटी
ने भी 5G के लिए सस्ता
स्पेक्ट्रम देने की सिफारिश की है.
TRAI की सिफारिशों के
आधार पर ही 2020 में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू होनी थी, लेकिन कोरोना की वजह से ये नीलामी शुरू नहीं हो
सकी. अब 2021 में इसकी नीलामी
हो सकती है.
5G पर सरकार का क्या कहना
स्पेक्ट्रम की
इतनी ज्यादा कीमतों पर टेलीकॉम कंपनियां और टेलीकॉम एक्सपर्ट ने चिंता जताई है.
लेकिन TRAI इन कीमतों को सही
बता चुका है. कीमतों में कटौती करने से TRAI मना कर चुका है. इस बात की जानकारी सरकार ने
लोकसभा में इसी साल 4 मार्च को दी थी.
5G स्पेक्ट्रम की
नीलामी के लिए सरकार ने अक्टूबर में डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस और डिफेंस मिनिस्ट्री से
स्पेक्ट्रम खाली करने की मांग की है. सरकार ने डिफेंस मिनिस्ट्री से 3300-3400
Mhz और 3000-3100 Mhz बैंड में स्पेक्ट्रम खाली करने के लिए कहा है.
वहीं, डिपार्टमेंट ऑफ
स्पेस से 3600-3700 Mhz में स्पेक्ट्रम खाली करने का अनुरोध किया है.
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